भारत में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही, इस दिशा में अधिक संसाधन जुटाए जा रहे हैं। पहले के मुकाबले अब मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है और इस मुद्दे से जुड़े सामाजिक पूर्वाग्रह को कम करने के प्रयास हो रहे हैं।
कार्यस्थलों में भी मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए कई पहल की जा रही हैं। कंपनियाँ अब कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही हैं। वे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कार्यशालाएँ और काउंसलिंग सेवाएं मुहैया करा रही हैं ताकि कर्मचारियों को अपनी भावनात्मक सेहत को संभालने में मदद मिले। इसी तरह, समुदाय-आधारित कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं जो स्थानीय स्तर पर लोगों को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने का अवसर प्रदान करते हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य लोगों के मानसिक रोगों के प्रति दृष्टिकोण को बदलना और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को घटाना है।
सरकार और गैर-सरकारी संगठन मिलकर इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू कर रहे हैं। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच आसान करने और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं ताकि हर व्यक्ति स्वस्थ मानसिक जीवन जी सके और अपनी क्षमताओं का पूरा लाभ उठा सके।
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